08 फ़रवरी, 2013

आई.सी.आई.सी.आई. प्रोडेन्शियल लाइफ इंश्योरेंस को पैसे लौटाने पड़े


मुरादाबाद उत्तर प्रदेश के न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम (प्रथम) ने जाकिर हुसैन के परिवाद पर निर्णय देते हुए कहा कि आई.सी.आई.सी.आई. प्रोडेन्शियल लाइफ इंश्योरेंस को पालिसी बाण्ड प्राप्त होने 15 दिनों के अन्दर निरस्ती आवेदन होने के कारण परिवादकर्ता को उसके 30000 रुपए मय 5000 हर्जे-खर्चे के साथ लौटाने होंगे।
                              
मामले के अनुसार वादी शिकायतकर्ता ने मार्च, 2010 में विपक्षी आई.सी.आई.सी.आई. प्रोडेन्शियल लाइफ इंश्योरेंस से एक बीमा पालिसी ली थी जिसके प्रथम प्रीमियम का भुगतान चेक द्वारा 30.03.2010 को कर दिया गया था। उस वक्त विपक्षी द्वारा कहा गया कि वादी को एक माह के अन्दर बीमा पालिसी बाण्ड भेज दिया जाएगा किन्तु आठ माह तक शिकायतकर्ता को बाण्ड नहीं भेजा गया जबकि इस बावत शिकायतकर्ता ने अनेकों बार विपक्षीगण को सूचित भी किया। तकरीबन आठ माह बाद जब परिवादी को पालिसी बाण्ड मिला तो पता चला कि यह बाण्ड उसे दिए गए आश्वासन और मर्जी के मुताबिक नहीं है, जिससे असंतुष्ट होकर उसे निरस्त कराने का प्रार्थना-पत्र दिनांक 08.11.2010 को मय पालिसी बाण्ड विपक्षी को दे दिया। विपक्षीगण का कहना था कि दिनांक 29.03.2010 को ही पालिसी बाण्ड पालिसी होल्डर के एजेंट को भेज दिया गया था। विपक्षीगण का यह भी कहना था कि इंश्योरेंस रेग्यूलेटरी एवं डेवलपमैंट अथारिटी रेग्यूलेशन के नियमों के अनुसार यदि पालिसी होल्डर पालिसी की भर्ती से संतुष्ट नहीं है तो वह पालिसी को 15 दिन में वापस कर सकता है चूँकि इस 'फ्री लुक' पीरियड में पालिसी को निरस्त कराने का आवेदन नहीं किया गया इस लिए पालिसी निरस्त कर धनराशि लौटाई नहीं जा सकती है।
किन्तु न्यायालय ने पत्रावलियों और साक्ष्यों के अवलोनोपरान्त पाया कि परिवादी को पालिसी बाण्ड 03.11.2010 को मिला माना जाएगा। दिनांक 08.11.2010 को वादी ने इसे निरस्त करने का आवेदन विपक्षीगण को दिया जो नियमानुसार सही है।
         इस तरह परिवादी जाकिर हुसैन का परिवाद 35000/ रुपए की धनराशि के लिए विपक्षीगण यानि आई.सी.आई.सी.आई. प्रोडेन्शियल के खिलाफ़ स्वीकार किया और निर्णय की तिथि से पैसे की वसूली तक 8 फ़ीसदी साधारण ब्याज की दर से धनराशि अदा किए जाने का आदेश पारित किया।

(परिवाद संख्या- 75/2011, निर्णय दिनांक- 30-01-2013)

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