13 फ़रवरी, 2013

बरेली विकास प्राधिकरण द्वारा गलत रूप से काटी गई राशि लौटाने का आदेश


बरेली के उपभोक्ता न्यायालय ने परिवादी के गलत रूप से काटे गए 39700/ रुपए हर्जे-खर्चे और मानसिक संताप की क्षतिपूर्ति समेत बरेली विकास प्राधिकरण को लौटाने के निर्देश दिए हैं।
       प्रकरण के अनुसार बरेली निवासी दीपक भसीन ने समाचार-पत्र में छपे विज्ञापन के आधार पर एक भूखण्ड प्राप्ति हेतु बरेली विकास प्राधिकरण को नियमानुसार मय पंजीकरण धनराशि 1,58,800/ रुपए जो कि बैंक ड्राफ्ट के रूप में थी, आवेदन किया।
       बरेली विकास प्राधिकरण की पंजीकरण पुस्तिका की शर्त नम्बर 9.1 में लिखा था-
यदि कोई पंजीकृत व्यक्ति पंजीकरण धनराशि लाटरी पड़ने से पूर्व वापस लेना चाहता है, तो उसको पंजीकरण धनराशि बिना ब्याज के वापस कर दी जाएगी।
       उपरोक्त शर्त का आधार लेते हुए वादी ने दिनांक 09-11-2010 को अपनी जमा धनराशि प्राप्ति का अनुरोध प्राधिकरण से किया। परिवादी के अनुरोध के आधार पर प्राधिकरण ने अपने नियम 9.2 जिसके अनुसार-
यदि कोई आवेदक लाटरी में आबंटन हो जाने के पश्चात अपने भूखण्ड को निरस्त कराकर धनराशि वापस लेना चाहता है, तो पंजीकरण धनराशि का 25 प्रतिशत काटकर शेष धनराशि उसे बिना ब्याज के वापस कर दी जाएगी।
       प्राधिकरण द्वारा उपरोक्त नियम 9.2 के आधार वादी को उसकी कुल जमा धनराशि का 25 प्रतिशत यानि 39700/ काटकर शेष धनराशि प्रदान कर दी गई।
       प्राधिकरण के इस कृत्य से क्षुब्ध होकर काटी गई धनराशि मय क्षतिपूर्ति और वाद खर्च के साथ लौटाने के लिए उपभोक्ता न्यायालय में वाद दाखिल कर दिया।
       न्यायालय ने समस्त दस्तावेजों के अवलोकन के बाद पाया कि प्रतिवादी द्वारा जो आबंटन/चयन पत्र दिनांक 16-09-2010 को भेजा गया था उसमें न तो भूखण्ड संख्या का उल्लेख था और न ही लाटरी ड्रा के माध्यम चयन का जिक्र! वास्तव में अभी लाटरी ड्रा होना शेष है। न्यायालय ने ये निष्कर्ष भी निकाला कि वादी द्वारा दिए गए निरस्ती प्रार्थना-पत्र के दिनांक 09-11-2010 तक प्राधिकरण में भूखण्ड की लाटरी ड्रा नहीं आयोजित किया गया था।
       अतः न्यायालय ने प्राधिकरण के नियम 9 प्रतिशत का समर्थन वादी के पक्ष में मानते हुए प्रधिकरण को 39700/  रुपए मय मानसिक संताप 5000/ रुपए व वाद खर्च के रूप में 2000/ भी अदा करने का निर्देश दिया। अदा की जाने वाली कुल धनराशि पर वाद दायर करने के दिनांक 23-04-2012 से 9 प्रतिशत का वार्षिक साधारण ब्याज भी देने का आदेश दिया।

(वाद संख्याः 95/2012, निर्णय दिनांकः 16-01-2013)
       

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