जिला मंच उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर ने अपने एक आदेश में परिवादी को वांक्षित
सूचना न प्रदान किए जाने पर सामान्य क्षतिपूर्ति 500/ रुपए देने को कहा।
मामले के अनुसार भगवान गंज, अजमेर निवासी नाथू सिंह ने जनसूचना अधिकार, 2005 की धारा 6(1) के तहत प्रतिवादी लोक सूचना अधिकारी एवं
सचिव, नगर सुधार न्यास, अजमेर से एक सूचना माँगी थी। इस हेतु नाथू
सिंह ने नियमानुसार 10 रुपए का
भारतीय पोस्टल आर्डर भी फीस के रूप लगाया था। किन्तु प्रार्थी के प्रार्थना पत्र का
कोई जवाब उक्त अधिकारी द्वारा नहीं दिया गया। प्रतिवादी के व्यवहार
से निराश होकर परिवादी ने जिला मंच, उपभोक्ता
संरक्षण में अपनी शिकायत दर्ज करा दी।
विपक्षी ने परिवाद के
संदर्भ में न्यायालय के समक्ष कहा कि परिवादी का आवेदन हमें मिला है किंतु प्रश्नात्मक
चाही गई सूचना नहीं दी जा सकती क्योंकि उत्तरदाता 'EXEMPTED' है। विपक्षी ने न्यायालय से वाद खारिज किए जाने की प्रार्थना
की।
न्यायालय ने पाया की
विपक्षी ने न तो वादी को सूचना दी और न ही सूचना न दिए जाने का कोई कारण बताया। जो
सेवा में एक बड़ी कमी है। न्यायालय ने कहा कि ऐसी सूचनाएँ या वादी के आदेश का निस्तारण
निर्धारित समयावधि में न किया जाना माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा रिवीज़न पीटिशन संख्या
244/04, निर्णय दिनांक-
28.05.2009 में डा एस.पी.
थिरुमाला राव बनाम म्यूनिसपल मैसूर के अनुसार सेवा दोष है।
न्यायालय ने अपने आदेश
में कहा कि विपक्षी सामान्य क्षतिपूर्ति के 500
रुपए इस आदेश के दो माह के अन्दर परिवादी को अदा करे, अथवा उक्त समस्त आदेशित राशि डिमाण्ड ड्राफ़ट
के माध्यम से परिवादी के पते पर रजिस्टर्ड पोस्ट भेज दे।
(वाद संख्या- 299/2012, निर्णय दिनांक- 15.01.2013)
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